आगरा: भारी पड़ा लॉकडाउन / भूख व इलाज के अभाव में एक बेटी की मौत, दूसरी की भी हालत खराब; मजदूरी छिनी तो लंच पैकेट खाकर परिवार कर रहा था गुजारा

ये तस्वीर आगरा में रहने वाले राम सिंह के परिवार की है। भूख व इलाज के अभाव में एक बेटी ने दम तोड़ दिया। दूसरी बेटी भी बीमारी से बिस्तर पर है।
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  • ताजनगरी आगरा में लॉकडाउन के बीच एक परिवार की बेबस भरी कहानी
  • बेटी की मौत की खबर पाकर समाजसेवियों ने की मदद
  • डीएम प्रभु नारायण सिंह ने सीएमओ को बीमार बेटी के इलाज का दिया निर्देश
  • डीएसओ व न्यू आगरा एसओ राशन लेकर परिवार के घर पहुंचे

दैनिक भास्कर

May 07, 2020, 02:21 PM IST

आगरा. कोरोना संकट काल में लॉकडाउन अब रोज कमाकर परिवार का भरण पोषण करने वालों पर भारी पड़ने लगा है। ताजा मामला ताजनगरी आगरा का है। यहां एक मजदूरी की बेटी भूख व इलाज के अभाव में मौत हो गई। मजदूर की दूसरी बेटी भी हालत खराब है। इससे प्रशासन की डोर स्टेप डिलीवरी व जरुरतमंदों को मदद देने के दावों की भी पोल खुल गई है। बेटी की मौत की खबर जब प्रशासन को लगी तो गुरुवार सुबह जिला पूर्ति अधिकारी व एसओ न्यू आगरा राशन लेकर मजदूर के घर पहुंचे। जिलाधिकारी ने सीएमओ को बीमार बेटी का इलाज कराने का निर्देश दिया है। 

पत्नी की बीमारी में बिक गया था मकान

न्यू आगरा थाना क्षेत्र के कौशलपुर निवासी राम सिंह जूते का फिटर बनाकर परिवार के लिए रोटी का इंतजाम करता था। लेकिन उसकी पत्नी बबिता को अचानक पैरालिसिस (लकवा) की बीमारी हो गई तो उसके इलाज के लिए राम सिंह को अपना मकान भी बेचना पड़ा। इसके बाद राम सिंह वाटरवर्क्स चौराहे पर लाल मस्जिद के पास मलिन बस्ती में किराए के मकान में रहने लगा। वह जैसे तैसे मजदूरी कर पत्नी बबिता, बेटी दीपेश (13 वर्ष), वैष्णवी (11 वर्ष), परी (07 वर्ष) और बेटे भरत (05 वर्ष) का पेट भरने लगा। लेकिन 23 मार्च के बाद शुरू हुए लॉकडाउन के बाद उसकी मजदूरी भी छूट गई। 

क्वारैंटाइन सेंटर व चौकी के लंच से भर रहा था पेट

राम सिंह इतने रुपए नहीं कमा पाता था कि वह भविष्य के लिए भी कुछ पैसे जोड़ सके। बताया जाता है कि, वह अग्रवन क्वारैंटाइन सेंटर से खाने के पैकटों के जरिए वह बच्चों का पेट भर रहा था। लेकिन एक हफ्ते पहले क्वारैंटाइन सेंटर में हंगामा हुआ तो खाने का पैकेट मिलना बंद हो गया। अब उसे पुलिस चौकी से ही एक टाइम लंच का पैकेट मिल रहा था। इसी बीच उसकी 11 वर्षीय बेटी वैष्णवी की तबियत खराब हो गई। उसका शरीर पीला पड़ गया था। मजबूरी में राम सिंह न तो उसका इलाज करा सका न ही उसका पेट भर सका। 28 अप्रैल को वैष्णवी ने दम तोड़ दिया। राम सिंह को बेटी के अंतिम संस्कार के लिए भी दूसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ा। लोगों ने कुछ लकड़ियों का इंतजाम किया तो उसने यमुना घाट पर बेटी का अंतिम संस्कार किया। इसके बाद अब उसकी बड़ी बेटी दीपेश में भी वैसे ही बीमारी के लक्षण दिखने लगे हैं। 

वैष्णवी। -फाइल इमेज

डीएम ने कार्रवाई के निर्देश दिए

मौत की खबर पाकर कुछ समाजसेवियों ने राशन व कुछ पैसों की मदद की है। फिलहाल जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह ने इस मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इसके बाद गुरुवार सुबह प्रशासन ने भी पीड़ित परिवार की मदद की है।  

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