चिंताजनक / तीन श्रमिकों ने लगाई फांसी, किसी के पास खाना नहीं तो कोई घर जाने को परेशान था

Three workers hanged, no one had any food and no one was worried about going home
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Three workers hanged, no one had any food and no one was worried about going home

  • लॉकडाउन बढ़ने से अप्रवासी श्रमिकों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं

दैनिक भास्कर

May 18, 2020, 06:25 AM IST

सूरत. लॉकडाउन की वजह से नौकरी छूटने और घर न जाने की हताशा अब खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है। परेशान लोग आत्महत्या जैसे कदम उठाने लगे हैं। रविवार को एक ही दिन में सूरत के अंदर तीन लोगों ने आत्महत्या कर ली। तीनों लॉकडाउन से बर्बाद हुई आर्थिक स्थिति से परेशान थे। इनकी समस्या ये थी कि न तो इनके पास पैसे बचे थे न खाना। गांव जाना चाहते थे लेकिन उसका भी कुछ जुगाड़ नहीं हो पाया, जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या की। अंदेशा है कि अगर स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ तो आने वाले समय में आत्महत्या के मामले बढ़ सकते हैं। अगर, ऐसा हुआ तो यह बहुत खतरनाक स्थिति होने वाली है। इसके अलावा एक अन्य मामले में आत्महत्या करने जा रहे व्यक्ति को बचा लिया गया। इन मामलों की जांच हो रही है।

केस-1

उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का निवासी और सूरत के सचिन जीआईडीसी के रामेश्वर कॉलोनी निवासी 28 वर्षीय सुधीर सिंह ने 15 मई को घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि वो अपने गांव जाना चाहता था, लेकिन पैसे नहीं होने के कारण उसे टिकट नहीं मिल पा रहा था, जबकि उसके कुछ रिश्तेदार गांव निकल गए थे। यही नहीं उसके पास खाने को भी कुछ नहीं बचा था। हताश सुधीर लॉकडाउन की वजह से पूरी तरह टूट चुका था। आखिर में उसने आत्महत्या कर ली।

केस-2

महाराष्ट्र निवासी सूरत के लिंबायत ऋषि नगर का 55 वर्षीय रोहिदास लिगाले ने शनिवार को फांसी लगा ली। पड़ोसियों ने बताया कि गैरेज पर काम कर रोहिदास परिवार चलाता था। बेटा कम्प्यूटर कोर्स कर रहा था। लॉकडाउन में काम बंद था। खाने तक के पैसे नहीं थे। इसको लेकर पिछले कुछ दिनों से तनाव में था। परिवार में भी कलह बढ़ गया था। कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही थी, जो मिल भी रही थी वो अपर्याप्त था।

केस-3

परवत गांव के 60 वर्षीय सुभाष प्रजापति ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। मृतक के रिश्तेदारों ने बताया कि सुभाष की पत्नी की मौत हो चुकी है। वह एकाकी जीवन जी रहा था। पिछले कुछ समय से सेंटिंग का काम कर अपना जीवन यापन कर रहा था। लॉकडाउन के बाद उसका काम धंधा बंद हो गया था, जिसके कारण आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी। इसी वजह से मानसिक तनाव में आने के बाद सुभाष ने शनिवार की रात में आत्महत्या कर ली।

घर न जा पाने के कारण आत्महत्या करने गए श्रमिक को काॅर्पोरेटर ने बचाया, गांव भी भेजा

कोरोना संक्रमण में 22 मार्च से लगातार चल रहे लॉकडाउन से लाखों लोग शहर में फंसे हुए हैं। इसी तरह से सूरत में कड़िया मजदूर का करने आया श्रमिक 21 मार्च से जनता कर्फ्यू के दिन से ही लॉकडाउन में फंस गया। स्थिति इतनी बदतर हो गई कि उसने आत्महत्या तक की सोच ली। लेकिन, स्थानीय कॉर्पोरेटर ने समय पर उसे देख लिया और उसकी जान बचा ली। बाद में मुंबई-दिल्ली श्रमिक स्पेशल का टिकट कराकर उसे दिल्ली भेजा। श्रमिक पानीपत से सूरत रोजगार की तलाश में आया था लेकिन, यहां अकेले पड़ गया था जिससे मानसिक तनाव में चला गया था।
तीन हजार कैश थे जो खत्म हो गए
हरियाणा के पानीपत निवासी अवधेश कुमार मोदी(50) ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं और बीवी पानीपत में ही है। आर्थिक तंगी के कारण 21 मार्च को मजदूरी करने सूरत आ गया, लेकिन 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगा दिया गया और जब उसने 24 को वापस जाने का सोचा तो लॉकडाउन शुरू हो गया। ऐसे में यहां किसी रिश्तेदार और जान पहचान न होने से वो अकेला पड़ गया। सूरत में रोड ब्रिज के नीचे अपना ठिकाना बनाया। साथ में 3 हजार रुपए था जो कब का खत्म हो चुका था। अब एनजीओ के भरोसे खाने का इंतजार करता था। तकरीबन 15 रात बिना खाए ही सो गया।

रविवार सुबह आत्महत्या की कोशिश

रविवार सुबह 2 महीने से पैसे के अभाव और टिकट न मिलने से परेशान होकर अवधेश ने सूरत के तापी नदी में कूदकर आत्महत्या की कोशिश में गया था। ब्रिज पर रो रहा था, तभी कॉर्पोरेटर अमित सिंह राजपूत ने उसे देखा और उसकी स्थिति जानी तो पता चला वो दो महीनों से परेशान है और घर नहीं जा सका है। अमित ने मुंबई दिल्ली स्पेशल ट्रेन का टिकट करवाया और कुछ पैसे दिए, जिसके बाद वो रविवार को रात 8:23 बजे दिल्ली रवाना हो सका। अमित ने बताया कि उसने मुझे अपनी समस्या बताई, जिसके बाद हमने उसे रवाना किया।

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