कोरोना लॉकडाउन: बदायूं में लगातार दूसरे दिन राशन की लाइन में लगी महिला की मौत
उत्तर प्रदेश के बदायूं ज़िले में सरकारी राशन की दुकान पर राशन के लिए लाइन में खड़ी एक महिला की शुक्रवार को मौत हो गई.
महिला की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है लेकिन आशंका जताई जा रही है कि महिला की मौत हार्ट अटैक से हुई है.
महिला दो दिन से राशन के लिए क़रीब डेढ़ किलोमीटर दूर चलकर सरकारी राशन की दुकान पर आ रही थी.
बदायूं ज़िले में सालारपुर ब्लॉक के प्रहलादपुर गांव की शमीम बानो शुक्रवार को राशन के लिए लाइन में लगी थीं. शमीम बानो के पति दिल्ली में किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं जो लॉकडाउन के चलते वहीं फँसे हुए हैं.
शमीम बानो एक दिन पहले भी राशन की लाइन में लगी थीं लेकिन तब उनका नंबर नहीं आया. दूसरे दिन यानी शुक्रवार को भी वो सुबह आठ बजे से ही लाइन में लगी थीं.
क़रीब 11 बजे तेज़ धूप में वो अचानक बेहोश होकर गिर गईं. वहां मौजूद लोगों ने घर वालों को सूचना दी, उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.
घटना के बाद गांव में राशन वितरण का काम रोक दिया गया और ज़िले के अधिकारियों को सूचना दी गई.
ज़िलाधिकारी के निर्देश पर ज़िला खाद्यान्न वितरण अधिकारी रामेंद्र प्रताप ने मामले की जांच की.
राशन मिलने में हो रही थी देरी
डीएसओ रामेंद्र प्रताप ने बीबीसी को बताया, "महिला दस मिनट पहले ही आई थी और अचानक बेहोश हो गई. जांच में हमने पाया कि रोज़ाना चालीस-पचास लोगों को राशन दिया जा रहा है. ऐसा नहीं हो सकता कि लाइन में लगे होने के बावजूद उन्हें राशन नहीं मिला. सुबह दस बजे की घटना है इसलिए यह भी नहीं कहा जा सकता कि तेज़ धूप थी."
हालांकि वहां मौजूद अन्य लोगों के अलावा कोटेदार गणेश प्रसाद का कहना है कि घटना के वक़्त ग्यारह बज रहे थे और तब तक महज़ आठ-दस लोगों को ही राशन मिल पाया था.
गणेश प्रसाद बताते हैं, "सोशल डिस्टैंसिंग के लिए गोल घेरे बने थे. हमें पता लगा कि महिला तीस-पैंतीस लोगों के बाद लाइन में खड़ी थी. सर्वर बहुत धीमे चल रहा था इसलिए लोगों को राशन मिलने में देरी हो रही थी. हमने आठ बजे से ही राशन वितरण शुरू कर दिया था."
वहां मौजूद लोगों का कहना है कि तीन घंटे में मुश्किल से दस लोग राशन पा सके थे. यही हाल एक दिन पहले यानी गुरुवार को भी था.
गांव के ही देवी दीन भी राशन की लाइन में लगे थे. वो बताते हैं, "राशन की दुकान के बाहर सभी लोग धूप में ही खड़े थे. बताया गया था कि पंद्रह तारीख़ से राशन बँटेगा, उस दिन भी सब लोग आए थे लेकिन राशन नहीं मिला. अगले दिन आए तो दिनभर लाइन में लगने के बावजूद मुश्किल से बीस-पच्चीस लोग ही राशन पा सके. शुक्रवार को महिला के मरने के बाद राशन बँटना भी बंद हो गया."
बताया जा रहा है कि राशन वितरण के वक़्त पर्यवेक्षक मौजूद नहीं थे जबकि बिना उनकी उपस्थिति के राशन नहीं बँट सकता.
महिला के पास नहीं था राशन कार्ड
घटना की सूचना पर डीएसओ, पूर्ति निरीक्षक और दूसरे अधिकारी भी मौक़े पर पहुंचे. गांव के प्रधान सर्वजीत बताते हैं कि महिला बहुत ही ग़रीब है.
उन्होंने बताया, "महिला का पति दिल्ली में रहता है. बच्चों के साथ वह अकेले यहां रहती है. उनका न तो राशन कार्ड था और न ही बैंक में कोई अकाउंट है. इसीलिए दूसरी मदद नहीं मिल पाती है. महिला को राशन मिल सके इसके लिए हमने उसका पीएचएच कार्ड बनवा दिया था. उसको पहले भी राशन मिल चुका है."
महिला के परिजन इस बारे में फ़िलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं. ग्राम प्रधान ने बताया कि न तो महिला के पास और न ही दिल्ली में काम कर रहे उसके पति के पास मोबाइल फ़ोन हैं. किसी की ओर से इस बारे में पुलिस में कोई शिकायत भी दर्ज नहीं कराई गई है.
स्थानीय पत्रकार चितरंजन सिंह बताते हैं, "राशन के लिए धूप में लाइन में लगना और सर्वर धीमा होना पूरे ज़िले की समस्या है. घंटों खड़े रहने के बाद ही नंबर आता है. कहीं भी कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है कि लोगों को लाइन में न लगना पड़े. इस समय गर्मी तेज़ पड़ रही है, चालीस डिग्री सेंटीग्रेड क़रीब तापमान हो गया है. ऐसे में कुछ घंटे भी लाइन में लगना ख़तरे से खाली नहीं है. प्रशासन को यह सुझाव दिया गया था कि राशन वितरण के लिए टोकन व्यवस्था कर दें, ताकि दस-दस के समूह में लोगों को बुलाया जाए. इससे न तो भीड़ होगी और न ही लोगों को बिना वजह खड़ा होना पड़ेगा."
चितरंजन सिंह बताते हैं कि इस सलाह पर पहले तो अमल नहीं किया गया लेकिन प्रहलादपुर की घटना के बाद अब ज़िले में सभी कोटेदारों से कहा गया है कि वो टोकन सिस्टम के ज़रिए राशन वितरण करें और केवल कुछ लोगों को ही एक साथ दुकान पर बुलाएं.
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