कोरोना वायरस के चलते किया गया लॉकडाउन संक्रमण से लड़ने में जितना असरदार है उतना ही लोगों के जीवन पर भारी भी पड़ रहा है। अलीगढ़ में लॉकडाउन के कारण शनिवार को एक ऐसा वाकया सामने आया जिसे देखकर हर किसी के आंसू छलक पड़े।
थाना बन्नादेवी के नुमाइश मैदान निवासी चाय वाले संजय कुमार (45) को टीबी की बीमारी थी। लॉकडाउन के कारण उसे उचित इलाज नहीं मिल पाया, जिसके कारण शनिवार को उसकी मौत हो गई। संजय की पांच बेटियां हैं। संकट की घड़ी में इन बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाया और पिता की अर्थी को खुद ही कंधा देकर अंतिम संस्कार किया।
बेटियों के कंधे पर पिता की अर्थी देख सभी की आंखें नम हो गईं। 45 वर्षीय संजय चाय बेचकर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। गरीबी की मार झेलने के बावजूद संजय ने कभी किसी के सामने मदद के लिए हाथ नहीं फैलाया।
वह टीबी से पीड़ित था। पिछले दिनों संजय की हालत ज्यादा खराब हो गई। परिवार के सदस्य नरेंद्र ने बताया कि संजय को छह महीने पहले ही पता चला था कि वह टीबी से पीड़ित है। परेशानी बढ़ने पर वह जिला अस्पताल से दवा ले लेता था।
लॉकडाउन के बीच उसकी तबीयत बिगड़ गई और जांच करने के लिए डॉक्टर भी नहीं मिले। इलाज के अभाव में संजय ने दम तोड़ दिया। रिश्तेदार ने बताया कि संजय की एक बेटी काजल की शादी हो चुकी है। बाकी चार बेटियां राधा, मौनी, प्रियांशी और ज्योति का पिता की बीमारी के कारण स्कूल जाना बंद हो गया।
पति की मृत्यु के बाद पत्नी अंजू के सामने दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। उन्हें अपनी बेटियों के भविष्य की चिंता सता रही है। इधर, जिला क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ. अनुपम भास्कर का कहना है कि सोशल मीडिया पर इस मामले की जानकारी मिली थी। संजय के घर टीम भेजी गई थी।
बलगम की जांच में टीबी की पुष्टि नहीं हुई। परिजनों की भी स्क्रीनिंग की गई, उनमें भी टीबी नहीं निकली। संजय कुमार का इलाज इलाके के ही एक चिकित्सक के यहां चल रहा था। चिकित्सक से इलाज की जानकारी मांगी गई है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि संजय किस बीमारी से ग्रस्त था।
कोरोना वायरस के चलते किया गया लॉकडाउन संक्रमण से लड़ने में जितना असरदार है उतना ही लोगों के जीवन पर भारी भी पड़ रहा है। अलीगढ़ में लॉकडाउन के कारण शनिवार को एक ऐसा वाकया सामने आया जिसे देखकर हर किसी के आंसू छलक पड़े।
थाना बन्नादेवी के नुमाइश मैदान निवासी चाय वाले संजय कुमार (45) को टीबी की बीमारी थी। लॉकडाउन के कारण उसे उचित इलाज नहीं मिल पाया, जिसके कारण शनिवार को उसकी मौत हो गई। संजय की पांच बेटियां हैं। संकट की घड़ी में इन बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाया और पिता की अर्थी को खुद ही कंधा देकर अंतिम संस्कार किया।
बेटियों के कंधे पर पिता की अर्थी देख सभी की आंखें नम हो गईं। 45 वर्षीय संजय चाय बेचकर किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। गरीबी की मार झेलने के बावजूद संजय ने कभी किसी के सामने मदद के लिए हाथ नहीं फैलाया।
वह टीबी से पीड़ित था। पिछले दिनों संजय की हालत ज्यादा खराब हो गई। परिवार के सदस्य नरेंद्र ने बताया कि संजय को छह महीने पहले ही पता चला था कि वह टीबी से पीड़ित है। परेशानी बढ़ने पर वह जिला अस्पताल से दवा ले लेता था।
लॉकडाउन के बीच उसकी तबीयत बिगड़ गई और जांच करने के लिए डॉक्टर भी नहीं मिले। इलाज के अभाव में संजय ने दम तोड़ दिया। रिश्तेदार ने बताया कि संजय की एक बेटी काजल की शादी हो चुकी है। बाकी चार बेटियां राधा, मौनी, प्रियांशी और ज्योति का पिता की बीमारी के कारण स्कूल जाना बंद हो गया।
पति की मृत्यु के बाद पत्नी अंजू के सामने दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। उन्हें अपनी बेटियों के भविष्य की चिंता सता रही है। इधर, जिला क्षय रोग नियंत्रण अधिकारी डॉ. अनुपम भास्कर का कहना है कि सोशल मीडिया पर इस मामले की जानकारी मिली थी। संजय के घर टीम भेजी गई थी।
बलगम की जांच में टीबी की पुष्टि नहीं हुई। परिजनों की भी स्क्रीनिंग की गई, उनमें भी टीबी नहीं निकली। संजय कुमार का इलाज इलाके के ही एक चिकित्सक के यहां चल रहा था। चिकित्सक से इलाज की जानकारी मांगी गई है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि संजय किस बीमारी से ग्रस्त था।