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बांदा/ओरन। प्रवासी मजदूर ने फांसी लगाकर जान दे दी। वह गुजरात की साड़ी फैक्टरी में प्रिंटिंग का काम करता था। लॉकडाउन में फैक्टरी बंद होने पर 20 दिन पहले गांव लौटा था। पिता का कहना है कि घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। इन्हीं हालात से तंग आकर बेटे ने जान दे दी।
बिसंडा थाना क्षेत्र के अमलोहरा गांव में शुक्रवार की सुबह मनीशंकर मिश्रा (35) पुत्र शंभू मिश्रा परिजनों की नजर बचाकर अपने रिहायशी मकान के बगल में बने कच्चे मकान में पहुंच गया। वहां खपरैल में पत्नी की साड़ी से फांसी लगा ली। कुछ देर बाद उसकी तलाश करता हुआ भाई मनोज वहां पहुंचा तो शव लटका देखा। पुलिस चौकी प्रभारी सुल्तान सिंह ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
मृतक के पिता शंभू ने बताया कि लॉकडाउन में साड़ी की फैक्टरी बंद हो जाने से मनीशंकर बेरोजगार हो गया था। करीब एक माह तक वहां फंसा रहा। 20 दिन पहले ही वह किसी तरह अपनी पत्नी और बेटे को लेकर गांव लौटा था। तीन भाइयों में छोटा था। दोनो बड़े भाई भी गुजरात में मजदूरी करते हैं। इनमें एक भाई अभी भी गुजरात में ही है।
पिता ने बताया कि मनीशंकर ने करीब आठ वर्ष पूर्व चित्रकूट के लोहदा (पहाड़ी) गांव की रेखा के साथ प्रेम विवाह किया था। पति-पत्नी दोनों सूरत में साथ रहते थे। साथ ही गांव लौटे। दो वर्ष का एक पुत्र है। पिता का कहना है कि घर आर्थिक परिस्थितियां काफी खराब है। मनीशंकर का रोजगार छिन जाने से हालात और बिगड़ गए। पिता पर बैंक का करीब 4 लाख रुपये कर्ज है। 10 बीघा जमीन गिरवी रखी जा चुकी है। इन्हीं सब हालात से परेशान होकर मनीशंकर ने आत्महत्या कर ली।
बांदा/ओरन। प्रवासी मजदूर ने फांसी लगाकर जान दे दी। वह गुजरात की साड़ी फैक्टरी में प्रिंटिंग का काम करता था। लॉकडाउन में फैक्टरी बंद होने पर 20 दिन पहले गांव लौटा था। पिता का कहना है कि घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। इन्हीं हालात से तंग आकर बेटे ने जान दे दी।
बिसंडा थाना क्षेत्र के अमलोहरा गांव में शुक्रवार की सुबह मनीशंकर मिश्रा (35) पुत्र शंभू मिश्रा परिजनों की नजर बचाकर अपने रिहायशी मकान के बगल में बने कच्चे मकान में पहुंच गया। वहां खपरैल में पत्नी की साड़ी से फांसी लगा ली। कुछ देर बाद उसकी तलाश करता हुआ भाई मनोज वहां पहुंचा तो शव लटका देखा। पुलिस चौकी प्रभारी सुल्तान सिंह ने घटनास्थल पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
मृतक के पिता शंभू ने बताया कि लॉकडाउन में साड़ी की फैक्टरी बंद हो जाने से मनीशंकर बेरोजगार हो गया था। करीब एक माह तक वहां फंसा रहा। 20 दिन पहले ही वह किसी तरह अपनी पत्नी और बेटे को लेकर गांव लौटा था। तीन भाइयों में छोटा था। दोनो बड़े भाई भी गुजरात में मजदूरी करते हैं। इनमें एक भाई अभी भी गुजरात में ही है।
पिता ने बताया कि मनीशंकर ने करीब आठ वर्ष पूर्व चित्रकूट के लोहदा (पहाड़ी) गांव की रेखा के साथ प्रेम विवाह किया था। पति-पत्नी दोनों सूरत में साथ रहते थे। साथ ही गांव लौटे। दो वर्ष का एक पुत्र है। पिता का कहना है कि घर आर्थिक परिस्थितियां काफी खराब है। मनीशंकर का रोजगार छिन जाने से हालात और बिगड़ गए। पिता पर बैंक का करीब 4 लाख रुपये कर्ज है। 10 बीघा जमीन गिरवी रखी जा चुकी है। इन्हीं सब हालात से परेशान होकर मनीशंकर ने आत्महत्या कर ली।