हाइलाइट्स
बैतूल।
- एमपी के बैतूल में कर्ज में डूबे किसान ने की आत्महत्या
- श्मशान घाट से धोती उठा कर नदी किनारे पेड़ पर लगाई फांसी
- दो साल से खराब हो रही थी फसल, लॉकडाउन में काम नही मिला
- किसान की मौत से जिले के अधिकारियों में हड़कंप, पुलिस कर रही जांच
सोसायटी के कर्ज और लॉकडाउन (lockdown) से तंग एक किसान ने मध्य प्रदेश के बैतूल में फांसी लगाकर आत्महत्या (farmer commits suicide) कर ली। घोडाडोंगरी तहसील के बटकीडोह गांव का श्रीनिवास सरकार कर्ज और लॉकडाउन में काम न मिलने से परेशान होकर फांसी के फंदे पर झूल गया। 45 वर्षीय श्रीनिवास ने अपने गांव की नदी किनारे महुआ के पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। चोपना पुलिस ने शव को फंदे से उतारकर पीएम के लिए घोडाडोंगरी अस्पताल पहुंचाया। शव परीक्षण के बाद परिजनों को सौप दिया गया है। पुलिस मर्ग कायम कर मामले की जांच कर रही है।
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मृतक के भाई विभाग सरकार ने बताया कि श्रीनिवास ने जून 2018 में चोपना सोसाइटी से 37800 रुपये का कर्ज लिया था। 2 साल से फसल खराब होने के कारण वह कर्ज नहीं चुका पा रहा था जिससे डिफॉल्टर हो गया था। डिफॉल्टर होने के बाद उसे सोसायटी से खाद-बीज नही मिल पाता । खाद-बीज ना मिलने के कारण वो इस साल खेती नहीं कर पाता।
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परिवार का पेट भरने की समस्या
कर्ज से परेशान श्रीनिवास की हालत लॉकडाउन ने और खराब कर दी थी। उसे केवल चार-पांच दिन तेंदू पत्ता तोड़ने का काम मिल पाया जो परिवार का पेट भरने के लिए काफी नहीं था। इससे वह मानसिक रूप से परेशान हो गया था। सोमवार शाम वह नदी किनारे श्मशान घाट के पास पहुंचा और वहीं पड़ी धोती को उठाकर महुआ के पेड़ से फंदा बनाकर फांसी लगा ली। रात में परिजन उसे ढूंढते हुए जब नदी के पास पहुंचे तो उसकी लाश लटकी हुई थी। मृतक श्रीनिवास के पास मात्र पांच एकड़ जमीन है जिस पर उसके दो भाइयों का परिवार और उसकी पत्नी के अलावा दो बच्चे निर्भर हैं।
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जिला प्रशासन में हड़कंप
मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कम्प मच गया। कर्ज से मौत के चलते कोऑपरेटिव बैंक से लेकर पुलिस तक के अफसर इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे हैं। हालांकि पुलिस की प्रारंभिक जांच इसी को आधार मानकर शुरू हुई है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक प्रबंधन ने भी उस पर कर्ज के बकाया की जांच शुरू कर दी है।
सरकार भले ही कुछ भी कहले किन्तु 20 लाख करोड़ में से एक आम सरल नागरिक तक आर्थिक मदद पहुँचना सुर्य काे दीपक दिखाने जैसा है, इसका ज्यादा लाभ ताे वाे पुंजीपति उठाएँगे जाे कानुन से खेलने में सक्षम हैं जो कर्जा लेने के बाद घाटा दिखाकर कर्जा माफ करा लेते हैं या विदेश भाग जाते हैं।