आर्थिक तंगी और बीमारी से त्रस्त पानठेला चालक की आत्महत्या

  • दिखाई देने लगे लाकडाउन के साईड इफेक्ट

मूल. आर्थिक परस्थितिि और बीमारी से परेशान होकर एक पानठेला चालक ने कुएं में कूदकर अपनी ईहलीला समाप्त करने की घटना मूल में घटी. यह लाकडाउन के साईड इफेक्ट भी दिखाई देने लगे है. यहां के वार्ड क्रं. 1 निवासी लोमेश गेडाम (42) का बस स्टैंड के सामने पानठेला है. इसके भरोसे उसके परिवार का भरण पोषण करता था. लोमेश अविवाहित होने से उस पर बुजुर्ग माता, पिता, बहन और भांजी की जिममेदारी थी. कोरोना लाकडाउन की वजह से पिछले दो महीने से पानठेला बंद रहने से परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो रहा था.

लोमेश पिछले कुछ वर्षो से सिकलसेल और किडनी की बीमारी से परेशान था. बीमारी पर मात कर लोमेश पिछले कुछ वर्षो से पानठेला चलाकर बुजुर्ग माता, पिता, बहन और भांजी का भरण पोषण कर रहा था. किंतु 47 दिनों से लाकडाउन की वजह से पानठेला बंद रहने से आर्थिक तंगी में फंस गया था. परिवार के भरण पोषण की समस्या से वह त्रस्त था. इससे परेशान होकर घर के पीछे खेत में नागापुर के कुएं में कूदकर अपनी ईहलीला समाप्त कर ली.

लोमेश ने खुदकुशी के पूर्व घर और कुएं के पास अलग अलग सुसाईड नोट लिख छोडे थे जिसमें लिखा था बीमारी से त्रस्त होकर और परिवार के भरण पोषण में असमर्थ होने से खुदकुशी कर रहा हूं. इसके लिए किसी को जम्मिेदार न ठहराया जाये. लोमेश घर का इकलौता कमाऊ था इसकी वजह से परिवार के सामने आर्थिक संकट आ गया है.